अपनों को लड़ते देखा
आशियाने को जलते देखा
एक रोटी को तडपता बचपन देखा
मासूमो को बिलकते देखा
औरतो को बिकते देखा
युवाओ को डूबता देखा
अपने को लड़ते देखा
किरणों में खून को बहते देखा
खोजने वालो को गुम होते देखा
हंसने वाले को रोते देखा
भूख की आग को जलते देखा
नजाने क्यों देखा मैंने इन नजरो को
इन को देखकर कूद को मचलते देखा
Tuesday, August 10, 2010
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